Papankusha Ekadasi is observed during the Shukla Paksha (waxing phase of moon) in the Hindu month of Ashwin (September – October). Papankusha Ekadashi 2024 date is October 13/14. The significance of this Ekadasi is mentioned in the Brahma Vaivarta Purana and was narrated to Yudhishtira by Lord Krishna.
It is known as Papankusha because observing it is believed to destroy all the sins.
It is believed that observing Papankusha Ekadasi will help in realizing one’s dreams. It is also said that observing Papankusha fasting is equal to making 100 types of numerous offerings.
On Papankusha Ekadasi, Bhagavan Vishnu is worshipped in the
form of Ananta Padmanabha – reclining on Snake Ananta in the milky ocean.
Some of the other results obtained by observing Papankusha Ekadashi include
Moksha, freedom from vices and diseases. Doing community service and helping
the poor on the day is considered to help in realizing one’s true nature.
All the usual rules associated with Ekadasi fasting is
observed on the day. Those observing partial fast avoid grains and rice. Some
Vishnu devotees do not sleep during night and read stories of Bhagavan Vishnu.
Papankusha Ekadashi Mantra
ॐ पद्मनाभाय नमः॥Om Padmanabhaya Namah
The mantra should be chanted throughout the day. This will help in sin redemption.
How To Perform Puja On Papankusha Ekadashi Day?
घर की उत्तर-पूर्व दिशा में सफ़ेद कपड़े पर शेष शैया पर सोए विष्णु का वो चित्र रखें जिसमें से उनके नाभि से कमल उदय हो रहा हो।
पीतल का कलश स्थापित करें। कलश में जल, दूध, सुपारी, तिल व सिक्के डालें, कलश के मुख पर पीपल के पत्ते रख कर उस पर नारियल रखें तथा विधिवत पूजन करें।
तिल के तेल का दीप करें, चंदन की अगरबत्ती जलाएं, चंदन चढ़ाएं, नीले फूल चढ़ाएं, काली मिर्च युक्त बादाम की खीर का भोग लगाएं व 11 केलों का भोग लगाएं तथा तुलसी की माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें।
पूजन उपरांत खीर प्रसाद स्वरूप बांटे।
Benefits Of Observing Papankusha Ekadashi
पापांकुशा एकादशी पर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप के पूजन का विधान है। शास्त्रनुसार पापांकुशा एकादशी हजार अश्वमेघ व सौ सूर्य यज्ञ के बराबर फल देती है। पाप रूपी हाथी को पुण्यरूपी अंकुश से वेधने के कारण ही इसे पापांकुशा कहते हैं।
श्री कृष्ण ने पद्म व ब्रह्मवैवर्त पुराण में इसका वर्णन किया गया है। जिसके अनुसार पापांकुशा स्वर्ग, मोक्ष, आरोग्यता, सुंदर जीवनसाथी व अन्न-धन देने वाली है। यह गंगा, गया, काशी, कुरुक्षेत्र व पुष्कर जैसी पुण्यवान हैं। इसके प्रताप से सहज ही विष्णु पद प्राप्त होता है। दस-दस पीढ़ी मातृ-पितृ स्त्री व मित्र पक्ष का उद्धार होता है। इस दिन जो व्यक्ति सोना, तिल, गाय, अन्न, जल, छाता व जूते दान करता है वो रोगों से बचकर स्वस्थ शरीर प्राप्त करता है।